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ओरिएंटेशन: नई जर्नी की धमाकेदार शुरुआत

ओरिएंटेशन: नई जर्नी की धमाकेदार शुरुआत

“ओरिएंटेशन एक ऐसी यात्रा है, जहाँ हम एक-दूसरे को बेहतर जानते हैं।”


नए जॉब की शुरुआत हमेशा कुछ खट्टी-मीठी होती है। एक तरफ नई उम्मीदें, नए लोग, और नई जगह का जोश, तो दूसरी तरफ थोड़ी झिझक, डर और अंजान माहौल। ऐसे में कंपनी का ऑनबोर्डिंग और ओरिएंटेशन प्रोग्राम आपके नए एम्प्लॉयीज़ की लाइफ को आसान और उनकी जर्नी को खुशनुमा बना सकता है।

ये वही वक्त होता है जब नए लोग कंपनी के साथ अपना पहला इम्प्रेशन बनाते हैं। सोचिए, अगर ये इम्प्रेशन अच्छा हुआ तो नए एम्प्लॉयीज़ का कॉन्फिडेंस और कंपनी के लिए कमिटमेंट अपने आप बढ़ जाएगा। लेकिन ध्यान रहे, ओरिएंटेशन सिर्फ फॉर्म भरवाने और डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई करने तक सीमित नहीं है। ये है उन्हें टीम का हिस्सा बनाने की जर्नी का पहला पड़ाव।


Step 1: आसान बनाइए शुरुआत

ऑनबोर्डिंग के पहले चरण में डॉक्यूमेंट्स कलेक्शन और वेरिफिकेशन तो करना जरूरी है, लेकिन इसे बोझिल मत बनाइए। इस प्रोसेस को user-friendly और स्मूद रखें। नए एम्प्लॉयीज़ को ऐसा फील कराइए कि वे किसी परिवार का हिस्सा बन रहे हैं, ना कि किसी रेस का।

उन्हें कंपनी की बिल्डिंग के हर कोने से परिचित कराइए। कहां बैठेंगे, कॉफी कहां मिलेगी, और meeting room किस तरफ है – ये सब छोटी-छोटी चीजें उन्हें कंफर्टेबल बनाएंगी।


Step 2: टीम से मुलाकात कराइए

नए जॉइन करने वालों को सबसे पहले उनकी टीम से मिलवाना बहुत जरूरी है। आखिरकार, यही लोग उनके साथ काम करेंगे। Small meet-and-greet sessions प्लान कीजिए, जहां सभी लोग आपस में बातचीत कर सकें। इससे एक हेल्दी work environment बनने में मदद मिलेगी।

एक और जबरदस्त आइडिया है - मेंटर सिस्टम। इसमें किसी एक्सपीरियंस्ड एम्प्लॉयी को नया गाइड करने के लिए असाइन कीजिए। ये मेंटर उनके लिए सवालों का जवाब देने से लेकर काम समझाने तक हर चीज में मदद करेंगे।


Step 3: कंपनी की कहानी सुनाइए

हर किसी को कहानियां सुनना पसंद होता है, और आपकी कंपनी की भी एक कहानी जरूर होगी। नए एम्प्लॉयीज़ को कंपनी के अतीत, वर्तमान और भविष्य की जर्नी बताइए।

  • Past: कंपनी की शुरुआत कैसे हुई? वो क्या आइडिया था जिसने इसे जन्म दिया?

  • Present: आज कंपनी कहां खड़ी है? आपकी क्या-क्या उपलब्धियां रही हैं?

  • Future: आने वाले समय में कंपनी क्या करना चाहती है? क्या आपके पास कोई बड़ा गोल है?

जब नए लोग ये समझेंगे कि वे किसी बड़े उद्देश्य का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो उनका जोश और उत्साह सातवें आसमान पर होगा।


Step 4: Culture का कनेक्शन

किसी भी कंपनी की असली पहचान उसकी culture होती है। ये एक तरह से कंपनी की आत्मा है। नए एम्प्लॉयीज़ को बताइए कि यहां लोग कैसे काम करते हैं, कैसे एक-दूसरे से बातचीत करते हैं, और कैसे टीम वर्क को एंजॉय करते हैं।

उन्हें आपके ऑफिस के रूल्स और वैल्यूज से परिचित कराइए। जैसे:

  • काम को लेकर क्या अटिट्यूड रखना चाहिए।

  • ऑफिस में celebrations और festivities कैसे होती हैं।

  • किस तरह के team-building activities का हिस्सा बन सकते हैं।

जब उन्हें work culture समझ में आएगा, तो वे खुद को उस जगह का हिस्सा महसूस करेंगे।


Step 5: Do’s & Don’ts का पाठ

हर जगह की अपनी कुछ rules and regulations होती हैं, और नए लोगों को इन्हें समझाना जरूरी है।

  • Do’s:

    • समय पर ऑफिस आना।

    • मेल्स का सही जवाब देना।

    • टीम वर्क को बढ़ावा देना।

  • Don’ts:

    • पॉलिसीज़ का उल्लंघन।

    • अनावश्यक देरी।

    • ऑफिस कल्चर को इग्नोर करना।

इन चीजों को जितना क्लियर करेंगे, नए एम्प्लॉयीज़ को एडजस्ट करने में उतना ही आसान होगा।


Step 6: क्या-क्या चाहिए होगा?

ओरिएंटेशन प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए कुछ जरूरी resources तैयार रखिए। जैसे:

  1. ट्रेनिंग मटेरियल और हैंडबुक।

  2. कंपनी की पॉलिसीज़ का डिटेल।

  3. Contact list – टीम के मेंबर्स और मैनेजर्स के नाम और नंबर।

  4. सॉफ्टवेयर और टूल्स की जानकारी।

  5. काम से जुड़े गोल्स का क्लियर डिस्क्रिप्शन।

ये सारी चीजें नए एम्प्लॉयीज़ को onboarding प्रोसेस को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगी।


Team से जुड़ने का मजा

अंत में, सबसे जरूरी बात – नए एम्प्लॉयीज़ को ऐसा महसूस कराइए कि वे आपकी टीम का हिस्सा हैं। एक ऐसा माहौल दीजिए जहां वे सवाल पूछने में झिझकें नहीं और अपने आइडियाज को खुलकर शेयर करें।

ऑनबोर्डिंग का मकसद सिर्फ काम शुरू कराना नहीं, बल्कि उन्हें कंपनी से जोड़ना है। याद रखिए, एक strong onboarding experience उन्हें न केवल जल्दी से एडजस्ट करने में मदद करता है, बल्कि उनकी प्रोडक्टिविटी और कंपनी के प्रति लॉयल्टी को भी बढ़ाता है।


निष्कर्ष: आपकी कंपनी, आपका परिवार

हर नई शुरुआत थोड़ी मुश्किल लगती है, लेकिन अगर सही guidance मिले तो वो एक खूबसूरत सफर बन जाती है। ओरिएंटेशन सिर्फ कागजी प्रक्रिया नहीं है, ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां आप अपने नए एम्प्लॉयीज़ को दिखाते हैं कि आपकी कंपनी सिर्फ एक ऑफिस नहीं, बल्कि एक परिवार है।

तो, अगली बार जब कोई नया एम्प्लॉयी जॉइन करे, तो ओरिएंटेशन को मजेदार और यादगार बनाइए। क्योंकि यही वो स्टेज है जहां से उनका और आपकी कंपनी का असली सफर शुरू होता है।

"Welcome your new employees like family, and watch them grow with you!"

18 Nov

Bindu Soni
Bindu Soni

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